चतुर्थ कृषि रोड मैप 2023-28
राज्य उपजाऊ भूमि और मेहनती किसानों से समृद्ध है। इसलिए, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कृषि क्षेत्र को बिहार की मुख्य क्षमता कहा है।
देश की खाद्य सुरक्षा के लिए बिहार महत्वपूर्ण है, यह बात राष्ट्रीय किसान आयोग ने रेखांकित की है।
राज्य में फसल सघनता 144 प्रतिशत है। बिहार में कृषि परिवार की आय में वृद्धि दर
राष्ट्रीय औसत से अधिक हो गया है।
राज्य में कृषि की वर्तमान स्थिति को राज्य के भूमि उपयोग आंकड़ों के आधार पर समझा जा सकता है। भूमि उपयोग सांख्यिकी, 2020-21 के अनुसार राज्य के कुल 93.6 लाख हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में से 50.45 लाख
हेक्टेयर शुद्ध फसली क्षेत्र के अंतर्गत है और 72.46 लाख हेक्टेयर सकल फसली क्षेत्र के अंतर्गत है। राज्य में फसल सघनता 144 प्रतिशत है।
चतुर्थ कृषि रोड मैप के उद्देश्य इस प्रकार निर्धारित किये गये हैं:
- खाद्य एवं पोषण सुरक्षा.
- समावेशी विकास के लिए रैयत किसानों के साथ-साथ गैर रैयत और महिला किसानों को भी बढ़ावा देना।
- सतत विकास।
- कृषि रोड मैप के विभिन्न विभागों के बीच अभिसरण के साथ-साथ किसान संबंधी विषयों के संबंध में सरकारी विभागों और निजी क्षेत्र के बीच आपसी समन्वय।
- छोटे किसान-बड़ी खेती के उद्देश्य से कृषक समूहों का गठन।
- कृषि में आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करें, ताकि किसानों की समस्याओं का समाधान कर उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सके।
- उत्पादन के दौरान और उत्पादन के बाद कृषि उपज को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए विशिष्ट उपाय।
- राज्य के विशिष्ट कृषि क्षेत्रों जैसे ताल और दियारा तथा चौर के विकास के लिए विशेष कार्यक्रम।
राज्य कृषि की मजबूती:
- उपजाऊ मिट्टी
- नदी, चौर, मान आदि जल स्रोतों की प्रचुरता तथा भूमिगत सिंचाई जल स्रोतों की उपलब्धता
- एक वर्ष में तीन फसलें उगाने के लिए उपयुक्त कृषि जलवायु
- मेहनती किसान
- राज्य सरकार की नीतियों में कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता
- कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा केन्द्रों की उपलब्धता
- पंचायत स्तर तक कृषि विस्तार प्रणाली की उपलब्धता
- जर्दालू आम, शाही लीची, मगही पान, कतरनी चावल, मिथिला मखाना कृषि धरोहरों की उपलब्धता
राज्य कृषि की कमजोरियाँ:
- छोटी एवं खंडित जोत - राज्य में 91 प्रतिशत से अधिक किसान सीमांत कृषक श्रेणी के हैं।
- कृषि क्षेत्र में कम निवेश के कारण भंडारण, प्रसंस्करण, विपणन आदि के लिए बुनियादी ढांचे की कमी
- कृषि विस्तार प्रणाली में आधुनिक तकनीक के प्रयोग का अभाव, किसानों तक बाजार संबंधी जानकारी समय पर न पहुंच पाना।
- कृषि उद्यमों की उत्पादकता क्षमता से कम है।
- फसल प्रणाली में धान-गेहूं फसल प्रणाली का प्रभुत्व है।
राज्य कृषि के समक्ष अवसर:
- कृषि विरासत उत्पादों को देश के विभिन्न भागों एवं विदेश के बाजार तक पहुंचाना।
- राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए राज्य के फलों एवं सब्जियों का उत्पादन बढ़ाना।
- छोटे किसानों को संगठित कर उन्हें एक आर्थिक इकाई में तब्दील करें।
- फसल विविधीकरण
- विभिन्न विभागों के बीच प्रभावी समन्वय के माध्यम से कृषि रोड मैप योजनाओं का लाभ उठाना।
- प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन से किसानों की आय में वृद्धि
- डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाकर कृषि इनपुट विपणन
राज्य कृषि के समक्ष जोखिम:
- जलवायु परिवर्तन
- बाढ़
- सूखा
- मानसून की अनियमितता
- टर्मिनल हीट